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     रसोई गैस की कीमतों में कटौती

गैस कंपनियों ने एलपीजी की कीमतों में कटौती की है। घरेलू एलपीजी सिलेंडर में 83 रुपये तो कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमत में 163 रुपये की कमी की है। नई कीमतें एक फरवरी से लागू होंगी। 
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 गैस चोरी से मिलेगी निजात जल्द आ रहे पारदर्शी एलपीजी सिलेंडर !!!!!

         पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि सरकार इसी साल प्लास्टिक के पारदर्शी सिलेंडरों को बाजार में उतारने की तैयारी कर रही है। उनका कहना है कि देश में ही इसके उत्पादक मिल गए हैं इसलिए कोशिश है कि इसी साल इसे देश के कुछ हिस्सों में परीक्षण शुरू हो जाए। 


केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले दिनों अमर उजाला से बातचीत में बताया था कि वर्ष 2016 एलपीजी उपभोक्ताओं का वर्ष घोषित किया गया है। इस साल वैसे सभी कदम उठाए जाएंगे, जिससे ग्राहकों को फायदा हो। इसमें प्लस्टिक के पारदर्शी सिलेंडरों को बाजार में उतारना भी शामिल है। 


मंत्रालय के वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस पर काम चल रहा है। पहले यहां प्लास्टिक के पारदर्शी सिलेंडर बनाने वाले नहीं मिल रहे थे, लेकिन अब मंत्रालय के संपर्क में दो कंपनियां हैं जो कि इसे भारत में ही बना सकती हैं। उनका कहना है कि यही प्लास्टिक के सिलेंडरों को बाजार में उतारने का सही वर्ष है क्योंकि अभी कच्चा तेल का दाम पिछले 13 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर है।


गौरतलब है कि प्लास्टिक बनाने में मुख्य कच्चा माल प्लास्टिक दाना है जो कि कच्चे तेल से ही बनता है। उन्होंने बताया कि अभी तो प्लस्टिक वाले सिलेंडरों का मूल्य पारंपरिक लोहे वाले सिलेंडरों के मुकाबले दुगुना बताया गया जा रहा है। लेकिन एक बार जब यहां भारी संख्या में बनना शुरू हो जाएगा तो दाम नीचे आने की पूरी संभावना है।   ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन -एआईपीएमए- के अध्यक्ष आरके अग्रवाल का कहना है कि प्लास्टिक के जिस सिलेंडर की बात चल रही है, उसे देश में ही बनाने की पूरी क्षमता है। 


एसोसिएशन के ही दो सदस्यों ने इस बारे में पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों के समक्ष प्रजेंटेशन भी दिया है। जैसे ही वहां से हरी झंडी मिलेगी, यहां निर्माण शुरू हो जाएगा। सिलेंडरों की लागत के बारे में पूछने पर बताया कि कच्चे तेल के सस्ता होने की वजह से यह भी सस्ता हुआ है, लेकिन कम मात्रा में बनाने पर इसकी लागत ज्यादा आएगी। 


एक बार इसका बड़े पैमाने पर निर्माण शुरू हो जाए तो दाम खुद ब खुद नीचे आ जाएगा। उल्लेखनीय है कि गैस सिलेंडरों में गैस निकालने की घटना आम हो गई है। हालांकि सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने इसके लिए डिलीवरीमैन को स्प्रिंग बैलेंस पर आधारित वजन मापने की मशीन उपलब्ध करायी है। लेकिन डिलीवरीमैन उसमें भी कुछ ऐसा जुगाड़ भिड़ाता है कि एक-दो किलो गैस का पता ही नहीं चल पाता है।
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4 महीने में करीब 10 लाख 37 हजार लोगों ने छोड़ी गैस सब्सिडी

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सक्षम लोगों से गैस सब्सिडी छोड़ने की जो अपील की थी उसका असर दिखने लगा है. 4 महीने में 10 लाख 37 हजार लोगों ने गरीबों की खातिर अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी. सब्सिडी छोड़ने वालों की लंबी कतार लगने लगी है. आखिर कौन ऐसे लोग हैं जो अपनी सब्सिडी छोड़ने के लिए तैयार हुए?

 

 

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल 27 अप्रैल को एक अपील की थी. प्रधानमंत्री की अपील उन लोगों से थी जो सक्षम होने के बाद भी एलपीजी सिलिंडर पर सब्सिडी लेते हैं.

 

प्रधानमंत्री की इस अपील के बाद शुरू हुआ गैस सब्सिडी छोड़ने का गिव इट अप कैंपेन- यानी कि अगर आपके पास सामर्थ्य है, आपके पास पैसा है तो गैस पर अपनी सब्सिडी छोड़िए और गरीबों को गैस जलाने का मौका दीजिए.

 

प्रधानमंत्री की अपील का असर अब दिखने लगा है. 4 महीने में करीब 10 लाख 37 हजार उपभोक्ताओं ने अपनी एलपीजी सब्सिडी छोड़ दी है. एक अनुमान के मुताबिक इससे सरकार की करीब 468 करोड़ रुपये सब्सिडी बची है. अगर सब्सिडी छोडने वालों की यही रफ्तार रही तो पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक करोड़ सब्सिडी छोड़ने वालों का जो लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.   

गिव इट अप मुहिम की खास बात ये रही है की इसके साथ हर खास और आम जुड़ रहा है. बड़े-बड़े कारोबारी घराने जैसे रिलायंस, टाटा ने अपने कर्मचारियों से सब्सिडी छोड़ने की अपील की.

 

प्रधानमंत्री की अपील का ये असर है कि फिल्म अभिनेता रणबीर कपूर, लता मंगेशकर, कमल हासन, फिल्मकार मणि रत्नम, गायक येसू दास और जाने-माने कारोबारी अनिल अंबानी सहित बड़ी संख्या में जाने-माने लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी है. 

 

एलपीजी सब्सिडी छोड़ने की मुहिम में सबसे आगे है उत्तर प्रदेश. यूपी में 2 लाख से ज़्यादा लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ दी है. महाराष्ट्र दूसरे पायदान पर है जहां 1 लाख 30 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने सब्सिडी को अलविदा कहा है. राजधानी दिल्ली तीसरे नंबर पर है जहां 1 लाख से ज़्यादा लोगों ने सब्सिडी को गुड बाय कह दिया है.

 

सब्सिडी छोड़ने की रेस (6 जुलाई तक के आंकड़े)

1. उत्तर प्रदेश         202529

2. महाराष्ट्र             137223

3. दिल्ली               106820

 

कर्नाटक में 6 जुलाई तक 67441 लोगों ने सब्सिडी छोडी़ जबकि तमिलनाडू में 64 हजार 213 लोगों ने सब्सिडी छोड़ी

बिहार में 38 हजार 37, पश्चिम बंगाल में 32 हजार 697, हरियाणा में 32 हजार 361, राजस्थान 29 हजार 337 और गुजरात में 26 हजार लोगों ने गैस पर सब्सिडी छोड़ दी.

 

4. कर्नाटक             67441

5. तमिलनाडू          64213

6. बिहार                38037

7. पश्चिम बंगाल       32697

8. हरयाणा              32361

9. राजस्थान            29337

10. गुजरात            26476

 

पेट्रोलियम मंत्रालय की इस मुहिम के साथ आम लोग तो जुड़े ही हैं. नेताओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. देश भर में 250 से ज़्यादा सांसद और विधायक भी एलपीजी सब्सिडी को अलविदा कह चुके हैं. ऐसे ही एक सांसद हैं भारतेन्द्र सिंह. भारतेन्द्र सिंह यूपी के बिजनौर से सांसद हैं.

 

सब्सिडी छोड़ने की मुहिम को लेकर पेट्रोलियम मंत्रालय और सरकारी तेल कंपनियों की तरफ से काफी प्रचार किया जा रहा है. देश भर में तमाम पेट्रोल पम्प पर बड़े बड़े होर्डिंग और स्टाल्स लगाये जा रहे हैं.

 

अगर आप भी अपनी एलपीजी सब्सिडी छोड़ना चाहते हैं तो प्रक्रिया बेहद आसान है. आप वेबसाइट पर जाकर सब्सिडी छोड़ सकते हैं या फिर एसएमएस के जरिये भी सब्सिडी को ना कह सकते हैं. इसके अलावा एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर के यहां जाकर फॉर्म भर सकते हैं या फिर डिलिवरी बॉय से घर पर फॉर्म मंगवाकर उसको भरकर दे सकते हैं.

 

देश भर में करीब 15 करोड़ उपभोक्ता गैस सिलिंडर का इस्तेमाल करते हैं जबकि देश में इनकम टैक्स देने वाले लोगों की संख्या करीब साढे तीन करोड़ हैं. इसके बाद भी सरकार ने सब्सिडी छोड़ने वाले एक करोड़ लोगों का लक्ष्य रखा है. देखना है सरकार का ये लक्ष्य कब पूरा होता है.  

 

सब्सिडी छोड़ना बेहद आसान, कैसे छोड़ेगे गैस सब्सिडी?

पहला तरीका....इनमें से किसी भी वेबसाइट पर जाकर लॉग ऑन करें.

mylpg.in

giveitup.in

ebharatgas.com

indane.co.in

hpgas.com

इसके बाद अपना कन्ज्यूमर नंबर या 17 अंकों का गैस पासबुक पर लिखा नंबर या फिर आधार नंबर डालें और गिव अप सब्सिडी पर क्लिक कर दें.

 

दूसरा तरीका- ये तरीका सबसे आसान है. आपको अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से सिर्फ एक एसएमएस भेजना है.

For Bharat Gas: GIVEITUP to 7738299899

For HP Gas: GIVEITUP to 9766899899 For Indane: GIVEITUP to 8130792899

 

तीसरा तरीका- अपने डिस्ट्रीब्यूटर के यहां जाकर सब्सिडी छोड़ने का फॉर्म भर सकते हैं. सिर्फ कन्ज्यूमर नंबर भरना है और साइन करना है. अगर चाहें तो डिलिवरी बॉय से फॉर्म घर पर मंगवा सकते हैं और भरकर उसे ही दे सकते हैं.
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एलपीजी सब्सिडी छोड़ने को प्रेरित करने के लिए चलाए जा रहे अभियान का असर देखने को मिल रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र की तीन ऑयल कंपनियों में अभी तक करीब 10 लाख उपभोक्ताओं ने एलपीजी की सब्सिडी छोड़ दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब तीन महीने पहले "गिव इट अप" अभियान लॉन्च किया था।

इसके बाद मोदी खुद कई वीआईपीज को फोन कर सब्सिडी छोड़ने को कहा था। उनकी आग्रह पर वित्त मंत्री अरूण जेटली, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित कुछ मंत्रियों ने सब्सिडी छोड़ी भी थी।

इंडियन ऑयल (इंडेन), भारत पेट्रोलियम (भारत गैस) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपी) में करीब 15.3 करोड़ उपभोक्ता रजिस्टर्ड हैं। हर उपभोक्ता को साल में सब्िसडी वाले 12 सिलेंडर मुहैया कराने में वे कुल 40 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देते हैं।

जब कोई उपभोक्ता एलपीजी रिफिल कराने के लिए फोन करता है, तो इंटरेक्िटव वॉयस रिस्पॉन्स (आईवीआरएस) के तहत ग्राहकों से सब्िसडी छोड़ने की अपील की जाती है। इसके अलावा ऑडियो विजुएल के जरिये भी लोगों से सब्िसडी छोड़ने के लिए कहा जा रहा है।

तेल कंपनियों को उम्मीद है कि वे कम से कम 1 करोड़ उपभोक्ताओं को गैस सब्िसडी छोड़ने के लिए राजी कर लेंगे। उत्तर प्रदेश में अब तक 2.09 लाख उपभोक्ताओं ने अब तक सब्िसडी छोड़ दी है। यह संख्या दूसरे राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है।

इसके बाद महाराष्ट्र का स्थान आता है। दक्षिणी राज्यों में कुल 2.16 लाख लोगों ने सब्िसडी छोड़ी है, जिसमें कर्नाटका में 78 हजार 307 उपभोक्ता, तमिलनाड़ में 67 हजार 96 और आंध्र प्रदेश में 31 हजार 711 उपभोक्ता शामिल हैं।

कई राज्यों में एलपीजी के लाभ छोड़ने और इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए सेलेब्रिटीज आगे गए हैं। कर्नाटक में विप्रो के प्रमुख अजीम प्रेमजी की पत्नी, तमिलनाडु में अभिनेता कमल हासन, निर्देशक मणिरत्नम आदि ने मुहिम को आगे बढ़ाया।
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यदि आपके घर में पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) का कनेक्शन है या आप सीएजनी से मोटर वाहन चलाते हैं तो आपके लिए यह अच्छी खबर है कि अगले महीने से इसके दाम में कटौती हो रही है। इससे ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र के उद्योग जगत में कल कारखाने चलाने वालों को भी फायदा होगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि आगामी एक अप्रैल से घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमतों में ९ फीसदी की कमी हो रही है। हालांकि इससे ओएनजीसी एवं रिलायंस जैसी कंपनियों का राजस्व घटेगा क्योंकि उनके गैस की कीमत घट जाएगी।


केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगले एक अप्रैल से घरेलू गैस की कीमतों की समीक्षा हो रही है। इस समय अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में गैस की कीमतों में नरमी आई है और इसी आधार पर यहां से निकलने वाली गैस की कीमतों में भी समीक्षा की जा रही है। इससे पहले पिछले वर्ष अक्‍टूबर में गैस की कीमतों में समीक्षा हुई थी। उन्होंने बताया कि भारत में उत्पादित गैस की कीमत तय करते वक्त अमेरिका के हेनरी हब, कनाडा के अलबर्टा, रूस के गैस बाजार और ब्रिटेन के एनबीपी के गैस की कीमतों का औसत लिया जाता है। इस समय वहां प्राकृतिक गैस की कीमतों का जो औसत आ रहा है, उसके मुताबिक एक अप्रैल से नेट कैलोरोफिक वैल्‍यू (एनसीवी) के आधार पर भारतीय गैस की नई कीमत ५.०१ डॉलर प्रति एमएमबीटीयू हो रही है जो कि इस समय ५.६१ डॉलर प्रति एमएमबीटीयू है। ग्रासकैलोरोफिक वैल्‍यू (जीसीवी) के आधार पर देखें तो नई कीमत ४.५६ डॉलर प्रति एमएमबीटीयू होगी।


घरेलू गैस की कीमतों में कटौती का फायदा सीएनजी और पीएनजी के उपयोग करने वालों मिलेगा क्योंकि अब सीएनसी और पीएनजी की आपूर्ति के लिए शत प्रतिशत घरेलू गैस का आवंटन किया जाता है। यही नहीं, इससे ताज टे्रपेजियम जोन में कल कारखाना चलाने वालों को भी फायदा होगा क्योंकि उन्हें भी घरेलू गैस की आपूर्ति की जाती है। इसके अलावा रासायनिक उर्वरक बनाने वालों को भी फायदा होगा क्‍योंकि उन्‍हें भी घरेलू गैस से आवंटन मिलता है।
इस कटौती से जहां आम लोगों और टीटीजेड में कारखाना चलाने वालों को फायदा होगा वहीं ओएनजीसी एवं रिलायंस जैसी कंपनियों को घाटा होगा। इन्हें अभी ५.६१ डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की राशि मिल रही है जो कि घट कर ५.०१ डालर प्रति एमएमबीटीयू रह जाएगी।
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एक अप्रैल से प्रारंभ हो रहे नए वित्तीय सत्र में अब तक डायरेक्ट बेनिफिट ऑफ ट्रांसफर ऑन एलपीजी (डीबीटीएल) योजना से नहीं जुड़े उपभोक्ताओं की जेब कटनी तय है।

ऐसे उपभोक्ताओं को एक अप्रैल से अगले तीन माह यानी जुलाई तक सिलेंडर की नॉन सब्सिडी कीमत ही चुकानी होगी। इस बीच एक अप्रैल से 30 जून तक अगर संबंधित उपभोक्ता योजना से जुड़ अपना बैंक खाता कनेक्शन संग लिंक करवा देते हैं तो जुलाई में तीनों महीनों की सब्सिडी राशि एक साथ उनके खाते में डाल दी जाएगी। लेकिन, खाता नंबर तब भी नहीं दिया तो यह रकम लैप्स हो जाएगी।
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83 प्रतिशत उपभोक्ता जुड़े
उत्तराखंड में एक जनवरी से डीबीटीएल योजना शुरू हुई है। मार्च (आधा महीना) तक करीब प्रदेश के करीब 83 फीसदी उपभोक्ता योजना से जुड़ चुके हैं। इनमें से 75 फीसदी उपभोक्ताओं को सब्सिडी भी मिलने लगी है। हालांकि प्रदेश में 31 मार्च तक डीबीटीएल योजना से नहीं जुड़ने वाले उपभोक्ताओं को भी ग्रेस पीरियड के तहत सब्सिडी रेट पर ही सिलेंडर दिया जा रहा है।
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सब्सिडी का फंडा
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की घटती-बढ़ती कीमतों के अनुसार हर माह की पहली या आखिरी तारीख को गैस सिलेंडर की बाजार कीमत तय होती है। अभी नॉन सब्सिडी सिलेंडर की कीमत 666 रुपए है, जबकि सब्सिडी वाला सिलेंडर 436.50 रुपए में मिल रहा है।

डीबीटीएल योजना में उपभोक्ता को सिलेंडर रिफिल करने पर पूरी कीमत चुकानी होगी। बाद में तेल कंपनी द्वारा सरकार से मिलने वाली सब्सिडी राशि उपभोक्ता के खाते में जमा कराई जाएगी। वर्तमान समय में उपभोक्ताओं को करीब 228.68  रुपए सब्सिडी के वापस मिल रहे हैं।
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